जरबेरा के फूल की खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे किसान, शादी़ समारोह की सजावट, गुलदस्ते बनाने में होता है प्रयोग

मीरजापुर- 29 नवम्बर। उत्साह के प्रतीक जरबेरा के फूल की खेती कर जिले के किसान आत्मनिर्भर बन रहे हैं। एक फूल लगभग 8 से 10 रुपये में बिकता है। इसका उपयोग शादी समारोह की सजावट, गुलदस्ते बनाने, कार्यालय, रेस्टोरेंट और होटल में सजावट के लिए करते हैं। जरबेरा फूल की खेती करके किसान मालामाल हो रहे हैं।

मडिहान तहसील के राजगढ़ ब्लाक स्थित करौदा में भदोही निवासी नजम अंसारी तीन बीघे में जरबेरा और गुलाब की खेती कर रहे हैं। पाली हाउस में जरबेरा की खेती होती है, जहां 15 से 20 लोग काम करते है। जरबेरा के फूलों की आपूर्ति कानपुर, वाराणसी, लखनऊ, प्रयागराज सहित अन्य कई जनपदों में होती है। एक फूल की कीमत 8 से 10 रुपये है। पाली हाउस में जरबेरा के फूलों की खेती की जाती है। बताया कि जरबेरा की खेती कुछ सालों पहले की थी, अब इससे काफी मुनाफा कमाने को मिल रहा है। पाली हाउस में देखभाल की जाती है। शादी विवाह के समय में इसकी कीमत और बढ़ जाती है। ठंड के समय में इसका उत्पादन काफी कम होता है, जहां पाली हाउस में 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान में ही इसकी खेती अच्छे से की जा सकती है।

मुख्य विकास अधिकारी श्रीलक्ष्मी वीएस ने बताया कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने को लेकर गंभीर है। इसके लिए परंपरागत खेती के साथ अन्य प्रकार की खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। उद्यान विभाग की योजना से फूलों की खेती कर किसान आत्मनिर्भर बन रहे हैं।

15 से 20 दिन तक हरा भरा रहता है फूल

किसान नजम अंसारी ने बताया कि जरबेरा का फूल दिखने में काफी आकर्षक होता है। इसका उपयोग शादी समारोह की सजावट, गुलदस्ते बनाने, आफिस, रेस्टोरेंट और होटल आदि में सजावट में प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही आयुर्वेदिक दवा बनाने में भी उपयोग होता है। फूल की खासियत है कि पानी के बोतल में रखने पर दो हफ्तों से अधिक समय तक हरा-भरा रहता है। फूल कई दिनों तक उपलब्ध रहता है। पीला, नारंगी, सफेद, गुलाबी, लाल और अन्य रंग में मौजूद होते है।

जरबेरा एक समशीतोष्ण जलवायु का पौधा है। इसके लिए ठंड में धूप और गर्मी में हल्की छाया की जरूरत होती है। अधिक सर्दी की धूप में इसका उत्पादन बहुत कम होता है। इसके लिए अधिकतम दिन का तापमान 20 से 25 सेंटीग्रेड और रात का तापमान 12 से 15 डिग्री सेंटीग्रेड अच्छा होता है। राजस्थानी क्षेत्र में ज्यादा पाया जाता है। इसके चलते पहाड़ी क्षेत्र में ज्यादा पैदा होता है।

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Author: lakshyatak

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