चीन में दो लोगों को फांसी दी गई, लोगों के समूह पर जानबूझकर SUV चढ़ाने का दोषी ठहराया गया था

बीजिंग- 20 जनवरी। चीन ने पिछले साल नवंबर में दो अलग-अलग घातक हमलों में मौत की सजा पाए दो लोगों को फांसी दे दी। 62 वर्षीय फैन वेइकिउ को 11 नवंबर को झुहाई में एक खेल केंद्र के बाहर व्यायाम कर रहे लोगों के समूह पर जानबूझकर एसयूवी चढ़ाने का दोषी ठहराया गया था। इस हमले में 35 लोग मारे गए और 43 अन्य घायल हो गए थे। इस घटना ने सूचने देश को हिलाकर रख दिया था।
सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, इस घटना के कुछ दिनों बाद 16 नवंबर को 21 वर्षीय जू जियाजिन ने पूर्वी प्रांत जियांग्सू के एक कॉलेज में आठ लोगों की चाकू मारकर हत्या कर दी थी।

कालेज स्टूडेंट जू परीक्षा में फेल हो गया था और फैक्टरी इंटर्न के रूप में मिलने वाले कम मानदेय से भी नाराज था। झुहाई की अदालत ने फैन को दोषी ठहराया था। अदालत ने जोर दिया था कि फैन के व्यवहार के लिए मौत के मामले में कानून की सबसे कड़ी सजा जरूरी है। दिसंबर में यह मामला बीजिंग स्थित सुप्रीम पीपुल्स कोर्ट में पहुंचा। शीर्ष अदालत ने भी कहा था कि दोषी को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। शिन्हुआ के मुताबिक, फांसी के तरीके को सार्वजनिक नहीं किया गया पर जू को फांसी से पहले अपने परिवार से मिलने की अनुमति दी गई।

सुप्रीम पीपुल्स कोर्ट के अध्यक्ष और मुख्य न्यायाधीश झांग जून ने गंभीर अपराधों के लिए सख्त और छोटे सामाजिक अपराधों के लिए अधिक उदार सजा का आग्रह किया है। चीन की कानून प्रवर्तन एजेंसियों की देखरेख करने वाले केंद्रीय राजनीतिक और कानूनी मामलों के आयोग के महासचिव यिन बाई ने वीभत्स घटनाओं को रोकने के लिए मजबूत सुरक्षा उपायों का आह्वान किया है। यही नहीं, राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित शीर्ष नेता दुर्लभ मामलों में कठोरतम दंड की वकालत कर चुके हैं। शीर्ष अभियोजक यिंग योंग ने हाल की घटनाओं से लिए गए सबक के आधार पर इसी तरह के अपराधों को रोकने और जांच में सुधार लाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

दो लोगों की फांसी की सजा पर सीएनएन ने भी खबर दी है। इसमें कहा गया कि चीन के अधिकांश सोशल मीडिया यूजर ने 62 वर्षीय फैन वेइकिउ और 21 वर्षीय जू जियाजिन को फांसी देने पर खुशी जताई है। इस पर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि चीन फांसी की कुल संख्या पर पारदर्शी जानकारी प्रदान नहीं करता है। माना जाता है कि चीन “दुनिया का शीर्ष जल्लाद” है। जहां हर साल हजारों लोगों को फांसी दी जाती है।

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Author: lakshyatak

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