नई दिल्ली- 07 मई। सुप्रीम कोर्ट ने पांच वर्षीय एलएलबी में दाखिले के लिए परीक्षा के प्रश्न पत्र तैयार करने की प्रक्रिया पर नाराजगी जताई है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सीएलएटी की परीक्षा के लिए स्थायी निकाय क्यों नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 16 मई को होगी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शिक्षा जगत के मामलों में कोर्ट हमेशा हस्तक्षेप नहीं करना चाहती है, क्योंकि कोर्ट इसकी विशेषज्ञ नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जब शिक्षाविद भी इस तरह की गलती करते हैं, जिससे लाखों छात्रों का करियर प्रभावित होता है, तो कोर्ट के पास कोई विकल्प नहीं बचता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें हाई कोर्ट ने पांच वर्षीय एलएलबी में दाखिले के लिए हुई परीक्षा में पूछे गए कुछ प्रश्नों को गलत मानते हुए परीक्षा का आयोजन करने वाले कंसोर्टियम ऑफ लॉ यूनिवर्सिटीज को निर्देश दिया था कि वे चार हफ्ते के अंदर दोबारा रिजल्ट जारी करें। जस्टिस बीआर गवई ने कंसोर्टियम ऑफ लॉ यूनिवर्सिटीज को निर्देश दिया कि वे अपनी वेबसाइट में इस बात का जिक्र करें कि सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 अप्रैल को कंसोर्टियम ऑफ लॉ यूनिवर्सिटीज को निर्देश दिया था कि वे चार हफ्ते के अंदर दोबारा रिजल्ट जारी करें। इस फैसले को कंसोर्टियम ऑफ लॉ यूनिवर्सिटीज ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
