भारत

कोविड-19 मृत्यु दर: मिथक बनाम तथ्य

28 जुलाई: मीडिया में आई कुछ खबरों, जोकि एक ऐसे अध्ययन पर आधारित हैं जिसका अभी पीयर-रिव्यू होना बाकी है और जिसे हाल ही में मेड्रिक्सिव पर अपलोड किया गया था, में यह आरोप लगाया गया कि भारत में कोविड -19 की दो लहरों के दौरान इस बीमारी से कम से कम 2.7 मिलियन से लेकर 3.3 मिलियन मौतें हुईं। यह आरोप ‘एक वर्ष में कम से कम 27 प्रतिशत अधिक मृत्यु दर की ओर इशारा करने वाले’ तीन अलग-अलग डेटाबेस का हवाला देते हुए लगाया गया।

इन खबरों में यह भी ‘निष्कर्ष’ निकाला गया कि भारत की कोविड से होने वाली मृत्यु दर आधिकारिक रूप से दर्ज की गई मौतों से लगभग 7-8 गुना अधिक हो सकती है और यह दावा किया गया कि ‘इनमें से अधिकांश अतिरिक्त मौतें संभवतः कोविड-19 के कारण हुई हैं’। गलत सूचनाओं वाली ऐसी खबरें पूरी तरह भ्रामक हैं।

यह स्पष्ट किया जाता है कि केन्द्र सरकार कोविड से जुड़े आंकड़ों के प्रबंधन के प्रति अपने दृष्टिकोण में पारदर्शी रही है और कोविड-19 से संबंधित सभी मौतों को दर्ज करने वाली एक मजबूत प्रणाली पहले से मौजूद है। सभी राज्यों और केन्द्र – शासित प्रदेशों को नियमित आधार पर इन आंकड़ों को अपडेट करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

राज्यों/केन्द्र – शासित प्रदेशों द्वारा सूचित की जाने वाली इस प्रक्रिया के अलावा, क़ानून आधारित नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) की मजबूती देश में सभी जन्म और मृत्यु को पंजीकृत करना सुनिश्चित करती है। यह नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) आंकड़ों के संग्रह, उनकी शुद्धि, उनका मिलान और संख्याओं को प्रकाशित करने की प्रक्रिया का अनुसरण करती है। भले ही यह एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी मौत दर्ज होने से न छूटे। इस कवायद के विस्तार और इसके आयाम की वजह से, इन संख्याओं को आमतौर पर अगले वर्ष प्रकाशित किया जाता है।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भी बार-बार औपचारिक संवाद, विभिन्न वीडियो कॉन्फ्रेंसों और निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुरूप मौतों को दर्ज करने के लिए केन्द्रीय टीमों की तैनाती के माध्यम से राज्यों और केन्द्र – शासित प्रदेशों को इस बारे में सलाह देता रहा है। राज्यों को यह सलाह दी गई है कि वे अपने अस्पतालों की पूरी तरह से जांच करें और किसी भी ऐसे मामले या मौतों के बारे में सूचित करें जो जिले और तारीख-वार विवरण में छूट गई हों ताकि डेटा-संचालित निर्णय लेने की प्रक्रिया को निर्देशित किया जा सके।

इसके अलावा, मई 2020 की शुरुआत में, दर्ज की जा रही मौतों की संख्या में विसंगति या भ्रम से बचने के लिए, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मृत्यु दर की कोडिंग से संबंधित विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित आईसीडी-10 कोड के अनुसार राज्यों / केन्द्र – शासित प्रदेशों द्वारा सभी मौतें को दर्ज करने के लिए ‘भारत में कोविड-19 से संबंधित मौतों को उचित तरीके से दर्ज करने के लिए मार्गदर्शन’ भी जारी किया था।

दूसरी लहर के चरम के दौरान, देश भर में स्वास्थ्य प्रणाली का ध्यान चिकित्सा सहायता की जरूरत वाले मामलों के प्रभावी नैदानिक ​​​​प्रबंधन पर केंद्रित था, जिसकी वजह से कोविड से हुई मौतों की सही सूचना और उसे दर्ज करने में भले ही देरी हुई हो, लेकिन बाद में राज्यों/ केन्द्र – शासित प्रदेशों द्वारा इस स्थिति को ठीक कर लिया गया। भारत में मजबूत और कानून-आधारित मृत्यु पंजीकरण प्रणाली के मद्देनजर संक्रामक रोग और इसके प्रबंधन के सिद्धांतों के अनुरूप कुछ मामले जानकारी में आने से रह जा सकते हैं, लेकिन मौतों के दर्ज होने से छूटने की कोई संभावना नहीं है।

यह एक सर्वविदित तथ्य है कि कोविड महामारी जैसे गंभीर और लंबे समय तक चलने वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के दौरान दर्ज की गई मृत्यु दर में हमेशा कुछ अंतर होगा। मृत्यु दर के बारे में बेहतर शोध अध्ययन आमतौर पर इस किस्म की घटना के बाद उस समय किए जाते हैं जब मृत्यु दर से संबंधित आंकड़ा विश्वसनीय स्रोतों के जरिए उपलब्ध होता है। इस तरह के अध्ययनों के लिए पद्धतियां अच्छी तरह से स्थापित हैं। इसके लिए आंकड़ों के स्रोतों के साथ – साथ मृत्यु दर की गणना से जुड़ी मान्य अवधारणाओं को भी परिभाषित किया गया है।

Join WhatsApp Channel Join Now
Subscribe and Follow on YouTube Subscribe
Follow on Facebook Follow
Follow on Instagram Follow
Follow on X-twitter Follow
Follow on Pinterest Follow
Download from Google Play Store Download

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button