नई दिल्ली- 17 जनवरी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश में तीन नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन की समीक्षा के लिए नई दिल्ली में बैठक की अध्यक्षता की। दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री मोहन यादव भी शामिल हुए। बैठक में चर्चा के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री ने नए आपराधिक कानूनों को लागू करने में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अब तक किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए राज्य में जल्द से जल्द इनके शत-प्रतिशत क्रियान्वयन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और संगठित अपराध से जुड़ी धाराओं के तहत मामला दर्ज करने से पहले वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को यह जांच करनी चाहिए कि क्या मामला उन धाराओं के तहत आता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन कानूनी प्रावधानों का कोई भी दुरुपयोग नए आपराधिक कानूनों की पवित्रता को कमजोर करेगा।
गृहमंत्री ने जीरो एफआईआर को नियमित एफआईआर में बदलने की निरंतर निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) के माध्यम से दो राज्यों के बीच एफआईआर के हस्तांतरण को सक्षम करने के लिए एक प्रणाली स्थापित करने का भी सुझाव दिया। शाह ने हर जिले में एक से अधिक फोरेंसिक साइंस मोबाइल वैन की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया। इसके अतिरिक्त उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से साक्ष्य रिकॉर्डिंग की सुविधा के लिए अस्पतालों और जेलों में पर्याप्त संख्या में क्यूबिकल्स के निर्माण के महत्व को रेखांकित किया।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि पुलिस को पूछताछ के लिए हिरासत में लिए गए लोगों की जानकारी इलेक्ट्रॉनिक डैशबोर्ड पर उपलब्ध करानी चाहिए। साथ ही जब्ती सूची और अदालतों में भेजे गए मामलों का विवरण भी डैशबोर्ड पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। उन्होंने राज्य के डीजीपी को इन मामलों की निरंतर निगरानी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में लंबे समय से देश से फरार चल रहे भगोड़ों के खिलाफ़ ट्रायल इन एब्सेंटिया शुरू किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में ट्रायल इन एब्सेंटिया के प्रावधान शामिल हैं, जिससे ऐसे भगोड़े अपराधियों के खिलाफ़ कार्रवाई की जा सके। उन्होंने राज्य सरकार से यह भी आग्रह किया कि वह यह सुनिश्चित करे कि आईसीजेएस (इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम) के तहत आवंटित धन का उपयोग भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार सख्ती से किया जाए।
अमित शाह ने फोरेंसिक विज्ञान में विशेषज्ञता वाले अधिकारियों की भर्ती पर जोर दिया और सुझाव दिया कि मध्य प्रदेश सरकार को इस उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना चाहिए। उन्होंने फोरेंसिक विज्ञान में डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रदान करके और बाद में उनकी भर्ती करके भौतिकी और रसायन विज्ञान की पृष्ठभूमि वाले छात्रों को अवसर प्रदान करने की भी सिफारिश की।
नए कानूनों में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के प्रावधानों पर केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि राज्य के गृह एवं स्वास्थ्य विभागों को बैठकें आयोजित कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अस्पताल पोस्टमार्टम और अन्य मेडिकल रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध कराएं। मध्य प्रदेश ई-समन के कार्यान्वयन में अग्रणी है और उन्होंने राज्य सरकार से एक ऐसी प्रणाली स्थापित करने का आग्रह किया, जहां अन्य राज्यों के अधिकारी ई-समन के सफल कार्यान्वयन को समझने के लिए मध्य प्रदेश आ सकें।
गृहमंत्री ने वंचितों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत कानूनी सहायता प्रणाली की आवश्यकता पर जोर दिया और इस उद्देश्य के लिए आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि गरीबों को कानूनी सहायता सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है। शाह ने सुझाव दिया कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को हर महीने मुख्य सचिव को हर 15 दिन में और पुलिस महानिदेशक को सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ साप्ताहिक रूप से तीन नए कानूनों को लागू करने की प्रगति की समीक्षा करनी चाहिए। उन्होंने डीजीपी को सभी पुलिसकर्मियों को संवेदनशील बनाने का भी निर्देश दिया और इस बात पर जोर दिया कि समय पर न्याय दिलाना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
बैठक में मध्य प्रदेश में पुलिस, जेल, न्यायालय, अभियोजन और फोरेंसिक से संबंधित विभिन्न नए प्रावधानों के कार्यान्वयन और वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई। बैठक में केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन के अलावा मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, बीपीआरएंडडी के महानिदेशक, एनसीआरबी के महानिदेशक और केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।