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कारोबारी विजय माल्या ने गुणवत्ता के कारण ब्रिटेन में दिवालियापन आदेश रद्द करने की मांग की

लंडन- 22 फरवरी। कारोबारी विजय माल्या ने ब्रिटेन की अदालत में अपने दिवालियापन आदेश को रद्द कराने के लिए नई अपील दायर की है। उनका तर्क है कि भारतीय बैंकों ने अवास्तविक दावे पेश किए हैं, खासकर जब भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में ऋण वसूली को लेकर हाल ही में बयान दिया था।

माल्या के वकील लेह क्रेस्टोहल ने बताया कि संसद में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, बैंकों को पहले ही माल्या से संबंधित बकाया राशि से अधिक धन वापस मिल चुका है। इसी आधार पर उन्होंने दिवालियापन आदेश रद्द करने के लिए आवेदन किया है।

यह मामला लंदन उच्च न्यायालय में चल रहा है, जहां न्यायाधीश एंथनी मान ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व में बैंकों का एक समूह 69 वर्षीय माल्या से उनकी अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के करीब 1.05 बिलियन जीबीपी ऋण की वसूली की मांग कर रहा है।

माल्या का कहना है कि नए साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए अदालत को दिवालियापन आदेश पर पुनर्विचार करना चाहिए। उनके वकीलों का कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक स्वयं भी वित्त मंत्री के संसद में दिए गए बयान को स्वीकार करेंगे।

गौरतलब है कि विजय माल्या भारत में वित्तीय अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे हैं और भारतीय एजेंसियां उन्हें प्रत्यर्पित कराने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर भी इस मामले में अपनी राहत की मांग को लेकर टिप्पणी की थी।

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