ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए यूट्यूब भी बैन, अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पहले से है पाबंदी

कैनबरा- 30 जुलाई। ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में यूट्यूब को भी शामिल किए जाने की घोषणा की है। इससे पहले यूट्यूब को इस नियम से छूट हासिल थी लेकिन सरकार ने अब इसे बदल दिया है। हालांकि यूट्यूब किड्स इससे मुक्त रहेगा। नया नियम 10 दिसंबर से लागू होगा।

ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने अपने ताजा आदेश में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए यूट्यूब को बैन कर दिया है। ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक, स्नैपचैट और एक्स के इस्तेमाल पर पाबंदी है। इस सूची में यूट्यूब को भी शामिल किया गया है। सरकार ने इसे लेकर गाइड लाइन जारी करते हुए कहा है कि अगर 16 साल से कम उम्र के बच्चों का यूट्यूब अकाउंट मिला या बच्चों ने कोई सोशल मीडिया अकाउंट सबसक्राइब किया तो कानूनी कार्रवाई होगी। बच्चे यूट्यूब किड्स इस्तेमाल कर सकते हैं। यूट्यूब किड्स पर अपलोड कंटेट बच्चों के लिए सुरक्षित है। इसमें बच्चे वीडियो अपलोड नहीं कर सकते।

द गार्जियन के मुताबिक संचार मंत्री अनिका वेल्स ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि यूट्यूब किड्स इससे मुक्त रहेगा। उन्होंने इस फैसले का श्रेय ई-सेफ्टी कमिश्नर की सलाह को दिया और कहा कि सरकार इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि 10 में से चार ऑस्ट्रेलियाई बच्चों ने बताया है कि उन्हें सबसे अधिक नुकसान यूट्यूब के इस्तेमाल से हुआ है। वेल्स ने कहा कि सरकार सोशल मीडिया कंपनियों से डरेगी नहीं और माता-पिता को प्राथमिकता देते हुए यह नीति लाई गई है।

सरकार का कहना है कि यूट्यूब को पाबंदी की सूची में शामिल करने का फैसला बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए किया गया है। यह अन्य देशों के लिए भी मॉडल बन सकता है। ऑस्ट्रेलिया का बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर पाबंदी से संबंधित कानून दुनिया में अपनी तरह का पहला कानून है।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल नवंबर में ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया बैन का बिल संसद से पारित हो गया। विशेष बात यह है कि पक्ष और विपक्ष दोनों ने इसका समर्थन किया। ऑस्ट्रेलिया ऐसा बिल पारित करने वाला दुनिया का पहला देश है।

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Author: lakshyatak

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