
अलविदा 2022: केन्द्र से टकराव में बीता गहलोत सरकार का वर्ष, सांप्रदायिक दंगों और तनाव की घटनाओं ने बढ़ाई चिंता
जयपुर- 31 दिसंबर। वर्ष 2022 खत्म होने को है और गहलोत सरकार अपना चौथा साल पूरा कर पांचवें साल में प्रवेश कर गई है। साल 2022 भी गहलोत सरकार के लिए परेशानियों भरा ही रहा है। जनवरी से लेकर जून तक करौली, मालपुरा, बारां, उदयपुर जैसे कई जिलों में जहां सांप्रदायिक दंगों और तनाव की घटनाओं ने गहलोत सरकार को परेशानी में डाला, तो वहीं केंद्र से भी लगातार साल भर गहलोत सरकार का टकराव चलता रहा। इसके चलते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित गहलोत मंत्रिमंडल के कई सदस्यों को अपनी गिरफ्तारी तक देनी पड़ी थी। सितंबर में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही आंतरिक लड़ाई सड़कों पर आ गई थी, जो पार्टी में दो फाड़ की स्थिति में पहुंच चुकी थी। इस दौरान दोनों गुट के मंत्रियों और विधायकों के बीच बयानबाजी के भी तीर चले थे।
साल 2022 की शुरुआत से ही करौली, भीलवाड़ा, जोधपुर, बारां सहित कई जिलों में सांप्रदायिक दंगों और तनाव की घटनाओं ने गहलोत सरकार की किरकिरी करवाई थी, तो कानून व्यवस्था पर सवाल भी खड़े हुए थे। उदयपुर हत्याकांड देशभर में सुर्खियों में रहा और इस घटना को लेकर लोगों में रोष रहा। राजनीतिक दलों से लेकर आम लोगों ने भी गहलोत सरकार को निशाने पर लिया। गहलोत सरकार पर तुष्टिकरण के आरोप लगे। कानून व्यवस्था में सुधार को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लगातार गृह विभाग और पुलिस के आलाधिकारियों की बैठकें ली थी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और उसके बाद सोनिया गांधी को प्रवर्तन निदेशालय की ओर से नोटिस और पूछताछ के विरोध में जहां देशभर के कांग्रेस कार्यकर्ता दिल्ली में इकट्ठे हुए, तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अपने मंत्रियों को लेकर दिल्ली पहुंचे। कई दिनों तक दिल्ली में धरने-प्रदर्शन हुए। विरोध में मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों को गिरफ्तारी तक देनी पड़ी। ई़डी-इनकम टैक्स के विरोध में जयपुर में भी कई बड़े धरने प्रदर्शन हुए जिनका नेतृत्व खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया। इसके अलावा सेना भर्ती में केंद्र सरकार की ओर से लागू की गई अग्निवीर योेजना को लेकर कांग्रेस संगठन और सरकार ने केंद्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, प्रदेश के सभी जिलों में अग्निवीर योजना के विरोध में धरने प्रदर्शन किए गए थे, खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अग्निवीर योजना के विरोध में जयपुर में हुए विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था।
ईस्टर्न कैनाल परियोजना तो(ईआरसीपी) को लेकर भी गहलोत सरकार का केंद्र सरकार से टकराव चलता रहा। ईस्टर्न कैनाल परियोजना को लेकर पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में करीब एक सप्ताह तक धरने-प्रदर्शन किए गए। जयपुर के बिरला सभागार में बड़ा सम्मेलन हुआ, जिसमें केंद्र सरकार के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से ईआरसीपी को लेकर किए गए वादों को बार-बार याद दिलाया तो वहीं भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप भी लगाया। ईस्टर्न कैनाल परियोजना को लेकर भाजपा ने भी गहलोत सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाए। ईआरसीपी को लेकर साल खत्म होने तक बयानबाजी के दौर जारी रहे। कांग्रेस संगठन की ओर से भी ईआरसीपी को लेकर 13 जिलों में बड़े आंदोलन किए गए थे, जयपुर के बिड़ला सभागार में भी ईआरसीपी को लेकर 13 जिलों के जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं का सम्मेलन हुआ था, जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केंद्र सरकार के खिलाफ गरजे तो निंदा प्रस्ताव भी पारित किया गया।
मुख्यमंत्री पद को लेकर भी साल भर खींचतान चलती रहीं, खींचतान उस वक्त ज्यादा बढ़ गई जब 25 सितंबर को केंद्रीय पर्यवेक्षकों की ओर से रायशुमारी के लिए बुलाई गई आधिकारिक विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करते हुए गहलोत गुट के विधायकों ने समानांतर विधायक दल की बैठक बुलाई और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थन में 92 विधायकों ने अपने इस्तीफे स्पीकर सीपी जोशी को सौंपे थे। पार्टी भी दो फाड़ की स्थिति में आ गई थी। गहलोत गुट के विधायकों पर कार्रवाई नहीं होने से नाराज होकर प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने पद से इस्तीफा दिया तो वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी भारत जोड़ो यात्रा की राजस्थान में प्रवेश से पहले सचिन पायलट के लिए निकम्मा-नकारा और गद्दार जैसे शब्दों का प्रयोग किया जिनको लेकर पार्टी आलाकमान को भी हस्तक्षेप करना पड़ा था।
साल 2022 की शुरुआत में रीट पेपर लीक मामले को लेकर जहां सरकार की किरकिरी हुई थी, तो सरकार ने कठोर कानून भी विधानसभा में बनाया। इसके बाद अब सैकेंड ग्रेड भर्ती परीक्षा का पेपर एक बार फिर आउट गया जिसके चलते पेपर रद्द करना पड़ा और सरकार की भी इस मामले में जमकर किरकिरी हुई। भाजपा का आरोप है कि गहलोत सरकार के चार साल के शासन में नौ बार पेपर आउट हो चुके हैं। पेपर लीक गैंग के आरोपियों की कांग्रेस नेताओं के साथ फोटो वायरल होने के बाद विपक्ष की ओर से कई बड़े आरोप भी सरकार के मंत्रियों और कांग्रेस के नेताओं पर लगाए गए। मामला ज्यादा बढ़ा तो कांग्रेस के विधायकों और नेताओं ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यूपी सरकार के शासन से सीख लेने की नसीहत दे डाली और यूपी की तर्ज पर पेपर लीक गैंग से जुड़े लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाने की मांग कर दी। साथ ही अपनी ही सरकार पर आरोप भी लगाए गए कि बिना मिलीभगत के पेपर लीक होना असंभव है।



