बिहार

अररिया की बेटी हुमा शमीम बनी दरोगा, सहायक उर्दू अनुवादक की परीक्षा भी कर चुकी थी पास

अररिया- 14 जुलाई। अररिया की दो बेटियों ने बिहार सरकार के गृह विभाग पटना की ओर से 2020 में आयोजित पुलिस अवर निरीक्षक की परीक्षा में अंतिम रूप से चयनित हुई है। अररिया के हरिया मुर्बल्ला के रहने वाली हुमा शमीम एवं नबाबगंज फुलकाहा की रहने वाली आरजू कुमारी पोद्दार ने यह सफलता हासिल की।ग्रामीण परिवेश में रहकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाली दोनों बेटियों की कामयाबी से गांव समेत पूरे जिले के लोगों में खुशी है। तथा नारी सशक्तीकरण का इसे नायाब तोहफा जिला के लिए मान रहे हैं।

अररिया प्रखंड के हरिया मुरबल्ला की रहने वाली हुमा शमीम आजादनगर अररिया में रहकर शिक्षा हासिल करने के साथ प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रही थी। हुमा शमीम ईधर लगातार कई परीक्षा में एक साथ सफलता प्राप्त की। कुछ दिनों पहले उन्होंने सहायक उर्दू अनुवादक की परीक्षा भी पास की। उससे पहले भी बीपीएससी की लिखित परीक्षा पास की थी।अब वो अंतिम रूप से पुलिस अवर निरीक्षक के लिए चयनित हो चुकी हैं।

हुमा शमीम मुरबलला गांव के रहने वाले प्रो शमीम अख्तर की पुत्री हैं, जो यादव कॉलेज अररिया के सेवानवृत प्रिंसिपल रह चुके है।उनकी माता प्रो अंजुमन आरा मिल्लिया कॉलेज में उर्द विभाग में व्याख्याता के साथ साथ साक्षरता अभियान में जिला कार्यक्रम समन्वयक भी रह चुकी हैं। हुमा शमीम की बुनियादी गर्ल्स गाइड एकेडमी से हुई, फिर आईएससी यादव कॉलेज से बीएससी अररिया कॉलेज से और फिर बीएड फारबिसगंज कॉलेज से की।हुमा शमीम की इस सफलता पर उनके परिवार और उनके रिश्तेदारों दोस्ती में खुशी है।

नरपतगंज प्रखंड के नवाबगंज पंचायत के फुलकाहा बाजार के किसान एवं व्यवसायी उमेश प्रसाद पोद्दार एवं रेणु देवी पोद्दार की पुत्री आरजू कुमारी पोद्दार ने बिहार दारोगा की परीक्षा में अंतिम रूप से सफल होकर पूरे नरपतगंज प्रखंड क्षेत्र समेत फुलकाहावासियों का नाम रोशन की है। उन्होंने माध्यमिक परीक्षा कुनकुन देवी हाई स्कूल फुलकाहा से और इंटर की परीक्षा फारबिसगंज कालेज फारबिसगंज से की। फारबिसगंज कालेज से स्नातक करने के बाद वर्तमान में बीएड की पढ़ाई कर रही है। गुरुवार को बीएड की परीक्षा देने पूर्णिया जा रही थी तभी बिहार दरोगा का रिजल्ट आया। तथा कुछ पलों में हीं वह दरोगा बन गई। जहां आज भी समाज में लड़कियों की पढ़ाई के प्रति अभिभावक उतने जागरूक नहीं है, तो वहीं आरजू दरोगा बनकर लोगों के लिए प्रेरणा बनने का काम की है।

आरजू ने बताया कि सेल्फ स्टडी के साथ दारोगा के शारीरिक परीक्षा की तैयारी खुद से ही की। आरजू के सफलता से उनके परिवार के खुशी का माहौल है। परिवार के सदस्य एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी जाहिर कर रहे हैं।

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