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अमेरिकी मंत्री ने नेपाल को चीन से सतर्क रहने की दी नसीहत, कहा- सोच समझकर पड़ोसी से करें समझौता

काठमांडू- 30 जनवरी। नेपाल भ्रमण पर रहे अमेरिकी उप विदेश मंत्री विक्टोरिया नुलैण्ड ने नेपाल को चीन से सतर्क रहने की नसीहत दे डाली। दिनभर राजनीतिक मुलाकात करने के बाद शाम को पत्रकार सम्मेलन करते हुए अमेरिकी मंत्री ने कहा कि विकास के नाम पर सार्वभौमिकता से समझौता ना करें।

अमेरिकी दूतावास द्वारा आयोजित पत्रकार सम्मेलन में राजनीतिक मामलों की उप विदेश मंत्री ने कहा कि नेपाल अपने पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक विकास के नाम पर समझौता करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन नेपाल को हमेशा यह सोचना चाहिए कि आर्थिक विकास के नाम पर होने वाले समझौते के पीछे की मंशा क्या है?

चीन का नाम लिए बगैर अमेरिकी उप विदेश मंत्री ने कहा नेपाल आर्थिक समझौता करने से पहले यह अच्छी तरह से जांच परख कर ले कि कहीं इस आर्थिक सहकार्य से उनके देश की सार्वभौमिकता पर तो खतरा नहीं आएगा? नुलैण्ड ने यह भी कहा कि नेपाल अपने पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक सहकार्य करते समय यह भी ध्यान में रखे कि वो कितना पारदर्शी है।

चीन को लेकर नसीहत देने के बाद औपचारिकता पूरी करने के लिए अमेरिकी मंत्री ने कहा कि नेपाल यदि अपने पड़ोसी देशों से अपने विकास के लिए अच्छे रिश्ते बनाता है तो इसमें अमेरिका को कोई आपत्ति नहीं होगी, बल्कि उसे खुशी ही होगी।

पत्रकारों ने जब यह पूछा कि क्या अमेरिका नेपाल को चीन से दूर रहने और भारत के करीब जाने तथा उसके साथ ही आर्थिक सहकार्य करने का सुझाव दे रहे हैं तो जवाब में अमेरिकी उप मंत्री ने कहा कि नेपाल अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है और वो किसी एक पड़ोसी के साथ रिश्ता बनाने या एक पड़ोसी के साथ नहीं बनाने के लिए को दबाव या सुझाव नहीं दे रही है। बस अमेरिका चाहता है कि दुनिया के कुछ देशों की हालत देखकर नेपाल सोच विचार कर कोई निर्णय लें।

बाइडेन प्रशासन की प्रभावशाली मंत्रियों में एक रही विक्टोरिया नुलैण्ड ने भारत और अमेरिका के बीच सुमधुर संबंधों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच ना सिर्फ राजनीतिक संबंध बल्कि आर्थिक और कूटनीतिक संबंध भी बहुत मजबूत है। नुलैण्ड ने चीन के साथ अमेरिका के रिश्तों में सुधार आने की उम्मीद जताई है।

उल्लेखनीय है कि श्रीलंका और पाकिस्तान की तरह चीन, नेपाल को बेल्ट एंड रोड के जरिए आर्थिक ऋण के जाल में फंसाना चाहता है। नेपाल में कम्युनिस्ट दलों की संयुक्त सरकार बनते ही चीन अपनी सक्रियता बढ़ाते हुए नेपाल पर बीआरआई को लागू किए जाने के लिए लगातार दबाव डाल रहा है।

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