
अक्टूबर-नवम्बर माह किसानों के लिए महत्वपूर्ण,खेत में करे बेहतर प्रबंधन:
पटना- 16 अक्टूबर। जलवायु परिवर्तन के दौर में रबी फसलों की आधुनिक खेती के लिए बिहार के मोतिहारी जिले के परसौनी स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने किसान भाईयों के लिए कई आवश्यक सुझाव दिया है।
केन्द्र के मृदा विशेषज्ञ आशीष राय ने कहा कि माॅनसून की विदाई के बाद अक्टूबर व नवम्बर माह किसानों के लिए अति महत्वपूर्ण होता है,क्योंकि इस माह में सरसों,आलू, मटर चना मसूर जौ और गेंहू सहित सभी रबी फसलों की बुआई की जाती है।ऐसे में यह जरूरी है कि किसान कम लागत में अच्छी पैदावार प्राप्त कर अपनी आमदनी बढ़ा सके।
रबी मौसम में किसान भाई लोग कौन सा कृषि कार्य कैसे करें—
आशीष राय ने कहा कि इस समय धान की शेष पकी फसल की कटाई करने के बाद बचे हुए अवशेषों को ना जलाएं बल्कि उसको वेस्ट डीकंपोजर घोल से खेत में ही सड़ाकर उचित इस्तेमाल करें ताकि मिट्टी के साथ-साथ पर्यावरण को भी बचाया जा सके। सभी प्रकार तिलहनी फसलो की बुआई अक्टूबर माह तक हर हाल में कर ले। धान की कटाई के बाद गेहूं के लिए खेत की तैयारी के दौरान खेत की मिट्टी को भुरभुरी करे मिट्टी का ढेले खेत में ना रहें।
उन्होंने कहा कि गेहूं की बुवाई के लिए प्रमाणित बीज का ही उपयोग करें साथ ही बीज शोधित ना हो तो प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम या एजोटोबेक्टर से शोधित कर लें। खाद और बीज एक साथ डालने के लिए फर्टी-सीड ड्रिल का प्रयोग करना अच्छा होगा।सिंचित क्षेत्र होने की दशा में जौ की बुवाई 15 नवंबर तक पूरी कर लें। यदि बीज प्रमाणित ना हो तो बुवाई से पूर्व थिरम यह एजोटोबेक्टर से उपचारित करें। जौ बुवाई के 30-35 दिन के बाद निराई-गुड़ाई कर लें।
उन्होंने कहा कि मटर में बुवाई के 20 दिन के बाद निराई कर लें। बुवाई के 40 45 दिन बाद पहली सिंचाई करें। फिर 6-7 दिन बाद ओट आने पर हल्की गुड़ाई भी कर दें। बुवाई के लिए 15 नवंबर तक का समय अच्छा है। सिंचाई की सुनिश्चित व्यवस्था होने पर रबी मक्का की बुवाई नवंबर माह के मध्य तक पूरी कर लें। बुवाई के लगभग 25-30 दिन बाद पहली सिंचाई कर दें। बुवाई के 3-4 सप्ताह बाद निराई-गुड़ाई कर लें। आलू की बुवाई यदि अक्टूबर में अगर नहीं हो पाई हो तो नवंबर माह तक जरूर पूरा कर लें। टमाटर की बसंत/ग्रीष्म ऋतु की फसल के लिए पौधशाला में बीज की बुवाई कर दें। प्याज की रबी फसल के लिए पौधशाला में बीज की बुवाई करें।
उन्होंने कहा कि आम एवं अन्य फलों के बाग में जुताई करके खरपतवार नष्ट कर दें। आम में मिलीबग कीट के नियंत्रण के लिए तने और थाले के आसपास मेलाथियान पांच प्रतिशत एवं फेवरेट 0.4 प्रतिशत घूल 250 ग्राम प्रति पेड़ के हिसाब से तने के चारों तरफ छिड़काव तथा तने के चारों ओर एल्काथीन की पट्टी लगायें। केले में पर धब्बा एवं सड़न रोग के लिए एक ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें। देशी गुलाब की कलम काटकर अगले वर्ष के स्टॉक हेतु क्यारियों में लगा दें। ग्लेडियोलस में स्थानीय मौसम के अनुसार सप्ताह में एक या दो बार सिंचाई करें।
रबी मौसम में बुवाई का तरीका—
कृषि वैज्ञानिक आशीष राय ने कहा कि बुवाई की सर्वोत्तम विधि है कतार, इसमें किसान को सीड-ड्रिल या जीरो टिलेज मशीन का उपयोग करना चाहिए जिससे कि हम बीज की उचित मात्रा डाल सकें। इसमें कतार से कतार और पौधे से पौधे की दूरी निश्चित कर सकते हैं जो विभिन्न कृषि कार्य में लाभदायक होता है। अधिक उत्पादन के लिए फसलों में 6-8 टन प्रति हेक्टेयर कार्बनिक खाद एवं उर्वरकों की सस्तुत मात्रा का प्रयोग करना चाहिए। असिंचित दशा में खाद एवं उर्वरक की पूरी मात्रा उपयुक्त उर्वरकों के द्वारा बुवाई से पूर्व अंतिम जुताई के समय देनी चाहिए। सिंचित दशा में फसलों में नाइट्रोजन की आधी मात्रा एवं फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय प्रयोग करना चाहिए। शेष बची हुई नाइट्रोजन की मात्रा दो से तीन बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में देना चाहिए। फसलों की खेती की तैयारी के बाद सबसे महत्वपूर्ण क्रिया है मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरक प्रबंधन इसके लिए सबसे आवश्यक है मिट्टी की जांच कराई जाए। वर्तमान समय में रासायनिक खादों के और संतुलित प्रयोग से हमारी खेती योग्य मिट्टी तथा वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। किसान भाइयों द्वारा असंतुलित उर्वरकों का प्रयोग खेतों में किया जा रहा है जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर होती जा रही है साथ ही साथ मिट्टी में जीवांश पदार्थ एवं सूक्ष्म जीवों की संख्या में भी लगातार कमी होती जा रही है। इसके कारण पौधों की वृद्धि एवं फसलोंत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसके लिए किसान भाई रबी फसल की बुआई के पहले खेतों की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं तथा आवश्यक उर्वरक का संतुलित मात्रा में प्रयोग करें।