प्रयागराज- 07 नवम्बर। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि इंटरनेट (सोशल) मीडिया पर अश्लील वीडियो का प्रसार सामाजिक गिरावट का नतीजा है। ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारियों को जांच करते समय उच्चतम गुणवत्ता सुनिश्चित करनी चाहिए।
कोर्ट ने डी जी पी को पुलिस विवेचना की कमियां दूर करने के लिए फौरी कदम उठाने का निर्देश दिया है और एस पी जौनपुर को वायरल वीडियो की बरामदगी न करने के स्पष्टीकरण के साथ अगली सुनवाई की तिथि पर हाजिर होने का आदेश दिया है। गवाह ने बयान दिया कि अश्लील वीडियो सोसल मीडिया पर प्रसारित किया गया किंतु विवेचना अधिकारी ने उस वीडियो की बरामदगी नहीं की। जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने अभियुक्त सूरज की जमानत अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 20 नवम्बर को होगी। कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यूपी पुलिस की विवेचना की गुणवत्ता “बहुत ही कमजोर“ है जो “सामाजिक विक्षोभ का कारण बन सकता है।
कोर्ट ने कहा कि लगता है आदेश का पालन नहीं किया जा रहा या पुलिस आई टी से सम्बंधित अपराधों की विवेचना की गुणवत्ता कायम रखने में विफल रही है। कोर्ट ने पुलिस को विवेचना की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश दिया है।