बिहारहेल्थ

सर्दियों में नवजात की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर बीमारियों से करें बचाव: डा. शबनम

किशनगंज- 02 नवंबर। सर्दियों में नवजात के स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए उचित देखभाल बेहद जरूरी है। बार-बार बीमार होना कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता की पहचान है। इसलिए, जन्म के बाद नवजात की रोग-प्रतिरोधक क्षमता समेत अन्य देखभाल को लेकर पूरी तरह सजग रहें। इसके लिए नवजात को जन्म के छह माह तक सिर्फ मां का ही स्तनपान कराएं। इस दौरान पानी भी नहीं दें। इससे ना सिर्फ बच्चे स्वस्थ रहते हैं, बल्कि उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है।

सदर अस्पताल में कार्यरत महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शबनम यशमीन ने बताया कि उचित पोषण से ही बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होगा और बच्चे स्वस्थ भी रहेंगे। इसलिए, शिशु को जन्म के पश्चात छह माह तक सिर्फ और सिर्फ मां के ही दूध का सेवन कराएं। इस दौरान बच्चों को किसी भी प्रकार की कोई ऊपरी आहार नहीं दें। यहा तक कि पानी भी नहीं दें। मां का दूध बच्चों के लिए अमृत के समान होता और स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। मां के दूध में मौजूद पोषक तत्व जैसे पानी, प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट मिनरल्स, वसा, कैलोरी शिशु को न सिर्फ बीमारियों से बचाते हैं, बल्कि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। साथ ही बच्चे की पाचन क्रिया भी मजबूत होती है। इसलिए, मां के दूध को शिशु का प्रथम टीका कहा गया है, जो छह माह तक के बच्चे के लिए बेहद जरूरी है। छह माह के बाद बच्चों के सतत विकास के लिए ऊपरी आहार की जरूरत पड़ती है। इस दौरान यह ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है कि उसे कैसा आहार दें। मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक बीमारी से भी दूर रखता है। इसलिए, बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को लेकर शुरुआती दौर से ही सजग रहें। दरअसल, अगर शुरुआती दौर में ही बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी तो नवजात के स्वस्थ शरीर का निर्माण होगा और वह आगे भी शारीरिक रूप से मजबूत होगा।

एसीएमओ डॉ सुरेश प्रसाद ने बताया कि नवजात के स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए जन्म के बाद आधे घंटे के अंदर नवजात को मां का दूध पिलाएं। इसके सेवन से नवजात की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। किन्तु, जानकारी के अभाव में कुछ लोग इसे गंदा या बेकार दूध समझ नवजात को नहीं पिलाते हैं। जबकि, सच यह है कि मां का पहला गाढ़ा-पीला दूध को प्रथम टीका कहा गया है और नवजात के लिए काफी फायदेमंद होता है। वही एसएनसीयू में कार्यरत डॉ अंकिता कुमारी बताती हैं कि नवजात को छह माह के बाद ही किसी प्रकार का बाहरी या ऊपरी आहार दें। छह माह तक सिर्फ और सिर्फ मां का ही स्तनपान कराएं और कम-से-कम से कम दो वर्षों तक ऊपरी आहार के साथ मां का स्तनपान भी जारी रखें। साथ ही नवजात के लालन-पालन के दौरान साफ-सफाई का भी विशेष ख्याल रखें। बच्चों को गोद लेने के पहले खुद अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें, बच्चों को हमेशा साफ कपड़ा पहनाएं, गीला व गंदा कपड़ा से बच्चे को हमेशा दूर रखें। इससे वह संक्रामक बीमारी से बचा रहेगा।

Join WhatsApp Channel Join Now
Subscribe and Follow on YouTube Subscribe
Follow on Facebook Follow
Follow on Instagram Follow
Follow on X-twitter Follow
Follow on Pinterest Follow
Download from Google Play Store Download

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button