भारत

विश्व बैंक को अगले 2 वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक विकास दर 6.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद

नई दिल्ली- 17 जनवरी। वर्ल्ड बैंक ने 2025 से शुरू होने वाले अगले दो वित्त वर्षों में भारत की आर्थिक विकास दर सालाना 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। दक्षिण एशिया के लिए जारी वर्ल्ड बैंक के ताजा अनुमानों के मुताबिक भारत में लगातार मजबूत ग्रोथ दिखने की उम्मीद है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 से शुरू होने वाले अगले दो वित्त वर्षों यानी 2025-26 और 2026-27 के दौरान भारत की ग्रोथ रेट 6.7 प्रतिशत प्रतिवर्ष रह सकती है। वर्ल्ड बैंक की इसी रिपोर्ट में 2024-25 के दौरान भारत के विकास दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। भारत के आर्थिक अनुमानों के साथ ही वर्ल्ड बैंक ने इस रिपोर्ट में 2025-26 में दक्षिण एशिया में ओवरऑल ग्रोथ रेट बढ़ कर 6.2 प्रतिशत होने की उम्मीद भी जताई है।

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सर्विस सेक्टर में लगातार विस्तार होने की उम्मीद है। इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में भी तेजी आने का अनुमान है। खासकर, सरकार की ओर से कारोबारी माहौल में सुधार लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों से भी मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटीज को फायदा होगा। इसके अलावा निवेश में भी सस्टेनेबल ग्रोथ होने का वर्ल्ड बैंक में अनुमान लगाया है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दौरान प्राइवेट सेक्टर की ओर से होने वाले इन्वेस्टमेंट में तेजी आने की उम्मीद है, जिससे सरकारी निवेश में आई गिरावट की भरपाई हो सकती है।

वर्ल्ड बैंक की इस रिपोर्ट में 2024-25 में भारत की ग्रोथ रेट घट कर 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना व्यक्त की गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि निवेश में गिरावट आने और मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी में कमजोरी आने की वजह से मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की ग्रोथ रेट में गिरावट आने के आसार हैं। हालांकि इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि निजी उपभोग की ग्रोथ लगातार अच्छी बनी हुई है। इसमें मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्र में प्रति व्यक्ति आय में सुधार हुआ है। इसके साथ ही कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होने के कारण भी रूरल सेक्टर में सुधार हुआ है।

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024-25 के दौरान भारत को छोड़कर शेष दक्षिण एशिया में विकास दर बढ़ कर 3.9 प्रतिशत होने का अनुमान है। दक्षिण एशिया की विकास दर में सुधार आने के लिए पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान और श्रीलंका की आर्थिक स्थिति में हुए सुधार को मुख्य वजह माना गया है। हालांकि रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि 2024 के दौरान बांग्लादेश में मची राजनीतिक उथल-पुथल के कारण दक्षिण एशिया की इकोनॉमिक एक्टिविटी पर असर पड़ा हुआ है। इससे बांग्लादेश में औद्योगिक गतिविधियां कमजोर हुई हैं और कीमत पर दबाव बढ़ा है।

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