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फ्रांसीसी परेड में तीनों सेनाओं के 269 जवान पीएम मोदी के सामने दिखाएंगे भारत का जलवा

नई दिल्ली- 06 जुलाई। पेरिस में 14 जुलाई को होने वाली फ्रांसीसी सैन्य परेड में तीनों भारतीय सेनाओं की 269 सदस्यीय टुकड़ी भी मार्चिंग दल का हिस्सा होगी। ‘बैस्टिल डे’ पर समारोह में हिस्सा लेने के लिए सशस्त्र बलों की टुकड़ी गुरुवार को वायु सेना के जामनगर स्टेशन से चार्ल्स डी गॉल हवाई अड्डे, पेरिस के लिए रवाना हुई। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी परेड के सम्मानित अतिथि होंगे।

भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व करने के लिए पंजाब रेजिमेंट को चुना गया है। इसमें तीन अधिकारी, चार जेसीओ और 70 सैनिकों वाली मार्चिंग टुकड़ी के अलावा सेना बैंड के 38 सदस्य शामिल हैं, जिसका नेतृत्व कैप्टन अमन जगताप कर रहे हैं। भारतीय नौसेना दल का नेतृत्व कमांडर व्रत बघेल और भारतीय वायु सेना दल का नेतृत्व स्क्वाड्रन लीडर सिंधु रेड्डी कर रहे हैं। भारतीय वायुसेना के राफेल लड़ाकू विमान भी परेड के दौरान फ्लाई पास्ट का हिस्सा बनेंगे।

दोनों विश्व युद्धों में शामिल हुई थी पंजाब रेजिमेंट—

सेना की टुकड़ी का प्रतिनिधित्व पंजाब रेजिमेंट करेगी, जो भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंटों में से एक है। इस रेजिमेंट के सैनिकों ने दोनों विश्व युद्धों के साथ-साथ स्वतंत्रता के बाद के ऑपरेशनों में भी भाग लिया है। प्रथम विश्व युद्ध में उन्हें 18 युद्ध एवं थिएटर सम्मान से सम्मानित किया गया। वीर सैनिकों ने मेसोपोटामिया, गैलीपोली, फिलिस्तीन, मिस्र, चीन, हांगकांग, दमिश्क और फ्रांस में लड़ाई लड़ी। फ्रांस में पंजाब रेजिमेंट ने सितंबर, 1915 में न्यूवे चैपल के पास एक आक्रामक हमले में भाग लिया और बैटल ऑनर्स ‘लूज़’ और ‘फ्रांस एंड फ़्लैंडर्स’ अर्जित किए। द्वितीय विश्व युद्ध में रेजिमेंट ने 16 युद्ध सम्मान और 14 थिएटर सम्मान अर्जित किये।

राजपूताना राइफल्स रेजिमेंट बैंड—

पेरिस रवाना हुए दल के साथ राजपूताना राइफल्स रेजिमेंट बैंड भी है। यह रेजिमेंट भारतीय सेना की सबसे वरिष्ठ राइफल रेजिमेंट है। इसकी अधिकांश बटालियनों का एक लंबा और गौरवशाली इतिहास है। उन्होंने दुनिया के कई थिएटरों में कुछ सबसे खूनी लड़ाइयों में हिस्सा लिया है। उन्होंने दोनों विश्व युद्धों में अनुकरणीय योगदान का प्रदर्शन किया है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस रेजिमेंट की बटालियनों ने हर उस थिएटर में लड़ाई लड़ी, जहां भारतीय सेना शामिल थी। इस रेजिमेंट को स्वतंत्रता से पहले छह विक्टोरिया क्रॉस मिले थे। रेजिमेंट के बैंड की स्थापना 1920 में नसीराबाद (राजस्थान) में हुई थी।

भारत और फ्रांस विश्वसनीय रक्षा भागीदार—

इस साल दोनों देश रणनीतिक साझेदारी के 25 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त अभ्यास में हिस्सा लेकर अपने अनुभव साझा कर रही हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी 14 जुलाई को पेरिस में होने वाली फ्रांसीसी सैन्य परेड के सम्मानित अतिथि होंगे। भारतीय वायु सेना के तीन राफेल लड़ाकू जेट ‘बैस्टिल डे’ पर पेरिस के चैंप्स एलिसीजज के ऊपर फ्लाईपास्ट में उड़ान भरेंगे।

प्रथम विश्व युद्ध से है भारतीय और फ्रांसीसी सेनाओं का जुड़ाव—

प्रथम विश्व युद्ध में 1.3 मिलियन से अधिक भारतीय सैनिकों ने युद्ध में भाग लिया था और उनमें से लगभग 74,000 सैनिक कीचड़ भरी खाइयों में लड़े और फिर कभी वापस नहीं लौटे, जबकि अन्य 67,000 घायल हो गए। भारतीय सैनिक फ्रांस की धरती पर भी वीरतापूर्वक लड़े। उनके साहस, वीरता और सर्वोच्च बलिदान ने न केवल दुश्मन को विफल कर दिया, बल्कि युद्ध जीतने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। बाद में द्वितीय विश्व युद्ध में 25 लाख भारतीय सैनिकों ने एशिया से लेकर अफ्रीका और यूरोप तक युद्ध के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसमें फ्रांस के युद्ध क्षेत्र भी शामिल थे। इन युद्धों में भारतीय सैनिकों ने अपनी वीरता स्थापित की, जिसे भारतीय सैनिकों को दिए गए कई वीरता पुरस्कारों के रूप में अच्छी पहचान मिली।

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