भारत

गांधी के एकता और समानता के मार्ग पर चलकर विकसित राष्ट्र बनेगा भारत: राष्ट्रपति

पूर्वी चंपारण/बिहार- 19अक्टूबर। बापू की कर्म भूमी चंपारण समानता व एकता की मार्ग पर चलने का मार्ग प्रशस्त करता है,उक्त बाते गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में 60 प्रतिशत छात्राएं होने को शानदार उपलब्धि मानते हुए उन्हें बधाई दिया और कहा कि छात्राओं की ऐसे उपलब्धि से नया और विकसित भारत के निर्माण का संकेत मिलता है। यह धरती राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की है। यहां 106 वर्ष पूर्व गांधी जी आये थे। उन्होंने चम्पारण में आकर ही विचार दिया था कि सबको समान शिक्षा का अवसर मिलना चाहिए।

इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी होने के नाते छात्र-छात्राओं को गौरवान्वित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपने आत्मकथा में लिखा है कि गांधी के चंपारण पहुंचने पर लोगों के दिल से अंग्रेजों का डर भाग गया। चम्पारण के गरीब और शोषित किसानों के अंदर विश्वास जगा कि उनका उद्धार होगा। और उनके बूते खड़ा हुए सत्याग्रह से विश्व के सबसे शक्तिशाली अंग्रेजी शासन को झुकना पड़ा। महात्मा गांधी ने यहां समानता व एकता में सबको जोड़ा।

राष्ट्रपति ने कहा कि चंपारण की धरती पर हम आकर अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रही हूं। गांधी जी के सादगी और सच्चाई का रास्ता ही वास्तविक मार्ग है, जिससे भारत विकसित राष्ट्र बनेगा। उन्होंने छात्र-छात्राएं से भी उनके बताए मार्ग का अनुसरण करने को कहा,जिससे भारत का नवनिर्माण होगा। इसके लिए इस पावन अवसर पर देशवासियों को और चंपारण के लोगों को संकल्प लेने की जरूरत है।

द्रौपदी मुर्मु ने चंपारण की धरती को ऐतिहासिक स्थल बताते हुए कहा कि यह बुद्ध और सम्राट की भी कर्म-भूमि रही है। पश्चिमी चंपारण में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व, जो पर्यटन की संभावनाएं को जाहिर करती हैं। वहीं लौरिया में अशोक स्तंभ सम्राट अशोक की याद दिलाता है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भवन के दरबार भवन के समीप सम्राट अशोक स्तंभ का ऊपरी भाग चम्पारण की याद दिलाता है। महात्मागांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा राष्ट्रीय,अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर शोध विशेषकर थारू जनजाति विषय को शोध में शामिल करने की सराहना की।गांधी बुद्ध और सम्राट अशोक की कर्मभूमि रही है। ऐसे में आप सभी छात्र-छात्राएं बापू की कर्म भूमि एवं बुद्ध की तपोभूमि से सफलता प्राप्त कर राष्ट्र की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करें।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि हमारे मित्र बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीन दिन के भीतर विश्वविद्यालय जमीन उपलब्ध कराने की घोषणा कर दी है। जो काफी सराहनीय है। इस विश्वविद्यालय का देश और विदेश स्तर पर अपना नाम होना चाहिए। इसके लिए जो यहां से उपाधि प्राप्त करके छात्र-छात्राएं अन्य जगहों पर शिक्षा आदि के लिए जाते हैं, वे गर्व से चम्पारण के महात्मा गांधी विवि का छात्र होने की बात बताएं। इसके लिए आपका आचरण, विचार, समर्पण सब के प्रति मर्यादा और कृतज्ञता का भाव को विकसित करना होगा।

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति आ गई और इसका पालन कर विद्यार्थी अपना भविष्य बेहतर बना सकते हैं। कहा कि पुरानी शिक्षा नीति से लोग मानसिक रूप से गुलाम बना रहे थे, नौकरी मांगने वाला की लंबी फेहरिस्त लग गई। लेकिन नई शिक्षा नीति के तहत अब नौकरी की मांग की जगह हम नौकरी देने वालों की श्रेणी में आने लगे है। छात्राओं को यह संकल्प लेने की आवश्यकता है।

क्षेत्रीय सांसद राधा मोहन सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक एवं अन्य उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते उनके उज्जवल भविष्य की कामना किया।इस अवसर पर अतिथियों ने कहा कि विश्वविद्यालय में 15 शैक्षणिक विभाग हैं।जिसे बढ़ाते हुए मेडिकल विभागों को भी शामिल किया जाना जरूरी है।उल्लेखनीय है,कि केविवि में इस समय 1500 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं,जिसमे विभिन्न देश एवं राज्यों के छात्र छात्राएं शामिल है। 110 प्राध्यापक हैं,अब तक 1487 छात्र छात्राएं इस विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण हो चुके हैं। सात वर्ष में महात्मा गांधी केंद्र विश्वविद्यालय अपनी पहचान देश में स्थापित कर चुकी है। बीएचयू, जेएनयू, डीयू तथा अन्य संस्थानो के विद्यार्थी शोध के लिए इस विश्वविद्यालय में आने लगे हैं।

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