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किसानों को वैज्ञानिक की सलाह, अक्टूबर में दो बार खेत की करें जुताई

पटना- 05 अक्टूबर। जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा द्वारा ना केवल प्रत्येक दिन के मौसम से अपडेट कराया जाता है। बल्कि समय के अनुकूल आधुनिक कृषि के लिए भी लगातार सुझाव जारी किए जाते हैं। अब रबी फसल की बुवाई का समय आ गया है और किसानों ने अक्टूबर-नवम्बर में सरसों,गेहूं,आलू,मटर,चना,मसूर,जौ आदि की बुवाई की तैयारी शुरू कर दी है। ऐसे में कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आधुनिक तरीके से समय पर खेती करने के लिए समसामयिक सुझाव जारी किए गए हैं। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जारी सुझाव के अनुसार खेती करने से कम लागत में अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामपाल ने कहा है कि अगात रबी फसल के लिए खेत की तैयारी मौसम साफ रहने पर शुरू करें। अक्टूबर महीने में दो बार जुताई करें। फसलों की स्वस्थ एवं गुणवत्तापूर्ण उत्पादन के लिए सड़ी-गली गोबर खाद का प्रबंध करें तथा डेढ़ सौ से दो सौ क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद पूरे खेत में अच्छे से बिखेरकर मिला दें। यह खाद जमीन की जलधारण क्षमता एवं पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाती है।

धान की जो फसल गाभा की अवस्था में हो, उसमें वर्षा का लाभ उठाते हुए प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम नेत्रजन (यूरिया) डालें। धान की फसल जो दुग्धावस्था में आ गई हो उसमें गंधी बग कीट की निगरानी करें। इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ जब पौधों में बाली निकलती है तो बालियों का रस चुसना प्रारंभ कर देती हैं। जिससे दाने खोखले एवं हल्के हो जाते हैं तथा छिलका का रंग सफेद हो जाता है।

धान की दुग्धावस्था में यह पौधों को अधिक क्षति पहुंचाती है, जिससे उपज में काफी कमी होता है। इसके शरीर से विशेष प्रकार का दुर्गंध निकलता है, जिसके कारण खेतों में आसानी से पहचाना जा सकता है। इसकी संख्या जब अधिक हो जाती है तो एक-एक बालि पर कई कीट बैठे मिलते हैं। इसके नियंत्रण के लिए फॉलीडाल-10 प्रतिशत पाउडर प्रति हेक्टेयर 10 से 15 किलोग्राम की दर से आठ बजे सुबह से पहले या शाम पांच बजे के बाद बालियों पर डालें। खेतों के आस-पास के मेड़ों पर भी इस पाउडर को मौसम साफ रहने पर डालें।

मिर्च की फसल में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें, इसके बाद मौसम साफ रहने पर इमिडाक्लोप्रिड एक मि.ली. प्रति तीन लीटर पानी की दर घोल बनाकर छिड़काव करें। फूलगोभी की पूसा अगहनी, पूसी, पटना मेन, पूसा सिन्थेटिक-1, पूसा शुभ्रा, पूसा शरद, पूसा मेघना, कापी कुवांरी एवं अर्ली स्नोवॉल आदि किस्मों की रोपाई करें।

फूलगोभी की पिछात किस्मों माघी, स्नोकिंग, पूसा स्नोकिंग-1, पूसा-2, पूसा स्नोवॉल-16, पूसा स्नोवॉल के-1 की नर्सरी में बुआई के लिए खेत की तैयारी शुरू करें। पत्तागोभी की प्राइड ऑफ इण्डिया, गोल्डेन एकर, पूसा मुक्ता, पूसा अगेती एवं अर्ली ड्रम हेड किस्मों की बुआई नर्सरी में करें। सब्जियों की नर्सरी में लाही, सफेद मक्खी एवं चूसक कीड़ों की निगरानी करें। यह कीट विषाणु जनित रोग के लिए वाहक का काम करते है। इससे बचाव के लिए मौसम साफ रहने पर इमिडाक्लोरोप्रिड दवा का 0.3 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल कर छिड़काव करें।

बैगन की फसल में तना एवं फल छेदक कीट की निगरानी करें, शुरुआती रोक-थाम के लिए बैगन की रोपाई के 10-15 दिनों बाद एक ग्राम फ्युराडान-3जी. दानेदार दवा प्रति पौधा की दर से जड़ के पास मिट्टी में मिला दें। खड़ी फसल में इस कीट का आक्रमण होने पर कीट से ग्रसित तना एवं फल तोड़ कर मिट्टी में गाड़ दें। यदि कीट की संख्या अधिक हो तो स्पिनोसेड 48 ई.सी. को मि.ली. प्रति चार लीटर पानी या क्वीनालफॉस 25 ई.सी. दवा का डेढ़ मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव मौसम साफ रहने पर करें।

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