नई दिल्ली- 15 दिसंबर। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में साफ किया है कि जिन शिक्षकों की नियुक्तियां हो चुकी हैं, वो सुरक्षित रहेंगी, भले ही वे नियुक्तियां अनुसूचित जिलों में या अन्य जिलों में की गई हों। जस्टिस एमआर शाह की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।
कोर्ट ने राज्य सरकार से अनुसूचित और गैर अनुसूचित जिलों को मिलाकर राज्य स्तर पर एक अलग से मेरिट लिस्ट बनाने का निर्देश दिया, जिसके जरिए अभी राज्य में शिक्षकों के लिए 8586 खाली पदों पर नियुक्ति की जाएगी। कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन महीने में मेरिट लिस्ट बनाने का काम पूरा करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को झारखंड हाई कोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया था, जिसमें हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की 2016 की नियोजन नीति को असंवैधानिक ठहराते हुए रद्द कर दिया था। कोर्ट ने झारखंड सरकार को कॉमन मेरिट लिस्ट बनाने का निर्देश दिया। शिक्षक सत्यजीत कुमार एवं अन्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में झारखंड हाई कोर्ट के 21 सितंबर, 2020 के आदेश को चुनौती दी गई थी।
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की नियोजन नीति और हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति संबंधी विज्ञापन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की नियोजन नीति को असंवैधानिक करार देते हुए उसे निरस्त कर दिया था। हाई कोर्ट 13 अनुसूचित जिलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था। हाई कोर्ट ने गैर अनुसूचित जिलों के 8423 पदों पर नये सिरे से शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया था।
झारखंड सरकार की नियोजन नीति के तहत राज्य के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय और चतुर्थवर्गीय पदों को उसी जिले के स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किया गया था। गैर अनुसूचित जिलों में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी गई थी।
